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शनिवार, अप्रैल 25, 2009

दर्द जब हद से गुजर गया होगा.....


दर्द जब हद से गुजर गया होगा 
वो अपनी ही मौत मर गया होगा....

कल रात पुरवाई चली थी शायद 
पुराना हर जख्म उभर गया होगा....

कितना टूटा था उम्र भर से वो शख्स 
आईना था छूने से बिखर गया होगा....

बहुत बरसीं हैं बरसातें इस रुत में 
मंजर का मंजर ही निखर गया होगा....

जो वक़्त पे किसी काम ना आया "राज"
वो इंसा हर एक नजर से उतर गया होगा....

13 टिप्‍पणियां:

  1. एक सुन्दर रचना
    लिखते रहें
    शुभकामनाएं
    मेरे ब्लोग पर स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही अच्छी रचना...धन्यवाद..

    जवाब देंहटाएं
  3. दर्द जब हद से गुजर गया होगा
    वो अपनी ही मौत मर गया होगा....

    बहुत बढ़िया .....पसंद आयीं

    हिद्नी ब्लॉग जगत में स्वागत !

    जवाब देंहटाएं
  4. रचना जी,
    रजनीश जी,
    अर्कजेश जी,
    धनन्जय जी,
    और नारद जी .......आप सबका आभार..जो आपने तुच्छ से रचनाकार को आपना कीमती समय दिया

    जवाब देंहटाएं
  5. sorry pehli baar link galat de diya tha maine

    http://www.orkut.co.in/Main#CommMsgs?cmm=98341200&tid=5452161151164720536

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  6. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. Chakresh bhai .... shukriya.....chor padkne ke liye/......chor le bhi jaayega..to meri gazal le jaayega...dard de jaayega....par kambakht meri soch to mere saath hai......aapka shukrgujaar hu jo aapne sachai ka saath diya/......yun hi saath dijiye bhai.....aabhar

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  8. दर्द जब हद से गुजर गया होगा
    वो अपनी ही मौत मर गया होगा ..........

    बहुत सुंदर रचना ..........

    जवाब देंहटाएं

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