बन गयी फिर इक कहानी खूबसूरत
आँखों ने बहाया जब पानी खूबसूरत
गर पत्थर भी मारिये तो वो हँस देगा
बहते हुए दरिया की रवानी खूबसूरत
इक शेर में जिक्र जो माँ का कर दिया
हुयी फिर ग़ज़ल की बयानी खूबसूरत
गठीले जिस्म की नुमाइश भला क्या
मुल्क पे निसार जो जवानी खूबसूरत
वो जुदा होकर भी मुझसे जुदा नहीं है
दे गया है यादों की निशानी खूबसूरत
पर्त-दर-पर्त खुल गए 'राज़' किसी के
मिली है इक तस्वीर पुरानी खूबसूरत