रात रात भर जगते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद
बेचैन बहुत हैं लगते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद
शब् से एक गुजारिश करते के, तू यूँ ही ना कट जाना
सहर के होने से डरते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद
मेरे दिल का आलम वो जाने, पीर मैं उसकी जाने हूँ
खामोशी में बातें करते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद
शाम ढले वो आ जाता है, बाम पे मुझसे मिलने को
एक दूजे पर हैं मरते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद
उसके संग सितारे हैं और, मेरे संग में रंगीं नजारे हैं
पर तन्हाई को सहते दोनों, मैं और मेरा तन्हा चाँद