जगती आँखों का ख्वाब ग़ज़ल
देखो लगती कैसी बेताब ग़ज़ल
उसको मैं क्या नाम दूँ आखिर
मुझसे कहती माहताब ग़ज़ल
किसी शाम जब याद यूँ आती
फिर होकर बहती आब ग़ज़ल
किसको खोजूं किस से कह दूँ
बस दर्द का मेरे हिजाब ग़ज़ल
मौसम की रवायत सी दिखती
शामो-सहर का आदाब ग़ज़ल
जिनके यहाँ अल्फाज़ महकते
उनकी खातिर है गुलाब ग़ज़ल
जरा सी पी लेते तो बहके रहते
"राज" की जामो-शराब ग़ज़ल