कभी मीठी तो, कभी है खारी जिंदगी
सच कहूँ मगर है बहुत प्यारी जिंदगी
कभी सिसके तो कभी पागलों से हँसे
तेरी याद में कुछ यूँ है गुजारी जिंदगी
जीने की हद तक तो तुम जियो यारों
क्या हुआ जो क़ज़ा से है हारी जिंदगी
कभी ख्वाब देखते, कभी आरज़ू लिए
कट रही है बस अब यूँ हमारी जिंदगी
उसके बगैर भी अपनी तो कटेगी "राज़"
बस उसे ही रहेगा मलाल सारी जिंदगी