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शनिवार, जुलाई 18, 2009

ये कारी-कारी कजरारी आँखें




ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें
सुरमे से हैं, कुछ यूँ सजी हुई
जग से जैसे, मतवारी आँखें

ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें

इनका झुकना, इनका उठना
बंद कली का हो जैसे खिलना
नजर डाल कर जब भौंरे देखें
बस शर्म से मारी मारी आँखें

ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें

ये चेहरे की भाषा, पढ़ लेती हैं
कुछ नए स्वप्न यूँ गढ़ लेती हैं
एक झलक गर देख लो इनको
होंगी तुम पर वारी वारी आँखें

ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें

खुशियों में खुश मिल जाती हैं
हो गम तो कुछ खिल जाती हैं
पर किसी से कुछ ना कहती हैं
होती अजब सी हैं बेचारी आँखें

ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें

सब राजों को अयाँ ये कर देंगीं
सब बातों को बयाँ ये कर देंगीं
मेरा दिल कोई क्या समझेगा
समझेंगी सिर्फ तुम्हारी आँखें

ये कारी-कारी कजरारी आँखें
लगती हैं, प्यारी प्यारी आँखें