हर इक चेहरे में तेरा चेहरा लगे है
हिज्र में मुझको सब सेहरा लगे है
मेरी हर सदा नाकाम लौट आयी
मुझे तो ये खुदा भी बहरा लगे है
जाग उठा हूँ अचानक सोते-सोते
शायद तेरी याद का पहरा लगे है
खारों से रफाकात हुयी है जब से
इन फूलों का ज़ख्म गहरा लगे है
इस किनारे से उस किनारे तलक
ये दरिया भी बहुत प्यासा लगे है
उसकी हंसी पे मत जाइए "राज़"
दीवाने को तो सब अच्छा लगे है