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शनिवार, सितंबर 22, 2012

चोट पानी जब करता है तो पत्थर टूट जाते हैं



हौसला जज्ब में रखिये तो सब डर टूट जाते हैं 
चोट पानी जब करता है, तो पत्थर टूट जाते हैं

ये किस्मत में खुदा ने क्या है लिख दिया अपनी 
नज़र जिनपे है जा टिकती वो मंजर टूट जाते हैं 

बात इन्सान की हो या, हो फिर इन दरख्तों की 
जिन्हें झुकना नहीं आता वो अक्सर टूट जाते हैं 

बरक़त दूर से ही ऐसों को छू कर के गुजरती है 
बिना माँ के जो होते हैं,  वो सब घर टूट जाते हैं 

मुहब्बत की बीमारी ने जिन्हें आकर के है घेरा 
ठीक बाहर से दिखते हैं पर वो अंदर टूट जाते हैं 

किसे है वक़्त के मंदिर-मस्जिद की जरा सोचे 
कमाने भर में ही सब के काँधे-सर टूट जाते हैं 

''राज'' पलकों में अपनी आप, ख्वाब ना रखिये 
सहर जब आँख मलती है ये गिरकर टूट जाते हैं