आँखों में अश्क, दिल रुसवा दिया मुझे
इस इश्क ने देखो क्या-क्या दिया मुझे
अब दिन रात बस उसे ही सोचते रहिये
उस ने बिछड़ के काम आला दिल मुझे
मैं जितना उबरता हूँ उतना ही डूबता हूँ
कैसा उसने यादों का दरिया दिया मुझे
किस्मत पे हर दफा ऐतबार किया था
हर मर्तबा उम्मीद ने धोखा दिया मुझे
गर्दिशे--वक़्त में सब अपने बिछड़ गए
शाखों के सूखे पत्ते सा ठुकरा दिया मुझे
अपनी ही करे है ये, ना सुने "राज" की
कैसा खुदाया तूने दिल बहरा दिया मुझे