लोकप्रिय पोस्ट

बुधवार, नवंबर 24, 2010

क्या कहे.....



है दिल जैसे कोई मुसीबत क्या कहें 
कैसे कटती है शबे फुरकत क्या कहें 

देखकर शरमाये, ना देखे तो भटके 
नहीं माह को कहीं है राहत क्या कहें 

और तेरी याद तो दर्द भी है सुकून भी 
बड़ी अजब सी है ये गफलत क्या कहें 

अजनबी सा लगने लगा हूँ मैं खुद को 
जब से हुई है तुमसे मुहब्बत क्या कहें 

इस बज़्म में तन्हाई सी लगे है अब तो 
इश्क की अजब सी ये वहशत क्या कहें 

कोई नज़रों में सिवा तेरे नहीं उतरता 
इनको भी हुई है तेरी आदत क्या कहें