लोकप्रिय पोस्ट

सोमवार, दिसंबर 20, 2010

तेरे बगैर.....


तन्हा तन्हा सा हुआ हर मंजर तेरे बगैर 
वीरान सा दिखता है अब ये घर तेरे बगैर 

जर्द जर्द सा है मौसम, घटाएं सीली सीली 
धुंआ धुंआ सी लगे है शामो सहर तेरे बगैर

फलक पे चाँद तारों का निशाँ नहीं मिलता
सब खाली खाली सा आता नज़र तेरे बगैर 

गिला किससे करें किसको गम कहें अपना 
हंसती रहती है बस ये चश्मे-तर तेरे बगैर 

सहरा सा हो चला अब तो आलम ये सारा 
कहीं गुल है, ना समर, ना शजर तेरे बगैर 

बेसबब ही भटकते हैं अब तो यहाँ वहां हम 
हावी वहशत है जेहन पे इस कदर तेरे बगैर