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रविवार, अगस्त 23, 2009

कभी ख्वाबों की बात करता है



कभी ख्वाबों की बात करता है
कभी किताबों की बात करता है

सवाल होके भी वो मुझसे क्यूँ
अपने जवाबों की बात करता है

मौसमे सेहरा होता है फिर भी
खिलते गुलाबों की बात करता है

परिंदों के हक में फैसला कौन दे
सय्याद अताबों की बात करता है

अब्र के साए जब चाँद मिलता है
उसके हिजाबों की बात करता है

वाइज भी मयकदे में मिला था
तो क्यूँ सवाबों की बात करता है

जो मुल्क के गद्दारों में शामिल है
मुझसे इन्कलाबों की बात करता है