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शनिवार, अगस्त 14, 2010

ग़ज़ल की है रौनक-ओ-शान "आरज़ू"


मिरी तहरीर की हुई अब जान "आरज़ू" 
ग़ज़ल की है रौनक-ओ-शान "आरज़ू" 

चाँद सितारे सब तेरे ही तो नाम हैं यहाँ 
है खुदा, इबादत और आसमान "आरज़ू" 

गर्मियों में खिलती धूप सरीखी लगे 
सर्दियों में सुकूँ का सायबान "आरज़ू" 

इक यही और क्या बाकी हसरत मेरी 
हो तुझसे ही अब मेरी पहचान "आरज़ू" 

तेरे सामने बैठूं और तुझे ही देखा करूँ 
ज़माने से है दिल में ये अरमान "आरज़ू" 

तेरे ही दर पे करे सजदा शामो-सहर 
"राज" का हुई जब से ईमान ''आरज़ू"