भले तू यूँ मेरा दिल दुखा के जा
पर जाना है तो सच बता के जा
यकीं करना है तो कर मुझ पे
गर शक है तो वो मिटा के जा
तेरे दिल में भी खलिश ना रहे
शिकवे-गिले सब जता के जा
मेरी यादें तुझे ना तड़पायें कहीं
वो पुराने ख़त सारे जला के जा
तेरे बगैर हम यहाँ जियेंगे कैसे
जाते-२ कोई हुनर सिखा के जा
मुझे तो ये तीरगी पसंद है बहुत
चाँद को फिर कहीं छिपा के जा
हर आँख अश्कबार कर दे "राज़"
बज़्म में ऐसी ग़ज़ल सुना के जा