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बुधवार, मई 27, 2009

जिद कर लेती




काश तुझे अपना बनाने की जिद कर लेती
मैं फिर से यूँ मुस्कराने की जिद कर लेती

तुझे एहसास हो गया होता मेरे जज्ब पे
अपनी खाख से तुझे महकाने की जिद कर लेती

तोड़ देती सारे जहाँ की रस्मे तेरी खातिर
सरे-आम सीने से लगाने की जिद कर लेती

मेरी शिद्दत का ये भी इम्तिहान होता गर
क़यामत तक वादा निभाने की जिद कर लेती