मुहब्बत का अजब चलन देख रहा हूँ
आज उस चेहरे पे शिकन देख रहा हूँ
ये कैसी है फिजा में खामोश लहर सी
के शजर के काँधे पे थकन देख रहा हूँ
वो जलना, मचलना, लहराना, बहकना
चराग-ओ-शमा का बांकपन देख रहा हूँ
रुत-ए-हिज्र और जेहन में याद उसकी
खारों से सज़ा कैसा चमन देख रहा हूँ
झुक गयीं पशेमानी से वो तो ज़फ़ा की
वफ़ा की हवा का खूब फन देख रहा हूँ
आह ने तहरीर को यूँ चूम क्या लिया
दर्द में भी में लुत्फे-सुखन देख रहा हूँ
आज उस चेहरे पे शिकन देख रहा हूँ
ये कैसी है फिजा में खामोश लहर सी
के शजर के काँधे पे थकन देख रहा हूँ
वो जलना, मचलना, लहराना, बहकना
चराग-ओ-शमा का बांकपन देख रहा हूँ
रुत-ए-हिज्र और जेहन में याद उसकी
खारों से सज़ा कैसा चमन देख रहा हूँ
झुक गयीं पशेमानी से वो तो ज़फ़ा की
वफ़ा की हवा का खूब फन देख रहा हूँ
आह ने तहरीर को यूँ चूम क्या लिया
दर्द में भी में लुत्फे-सुखन देख रहा हूँ