हमसे जफा रखिये या वफ़ा रखिये
मुलाकातों का पर सिलसिला रखिये
काफ़िर हैं जो उनको रहने दीजिये
अपने जेहन में आप तो खुदा रखिये
शजर के तले जो अँधेरा उतरने लगे
घर में बस चराग इक जला रखिये
दिल तोड़ कर के हँसता है बहुत
अरे नादान है वो खता भुला रखिये
और रकीब भी हमारे सलामत रहें
जब भी रखिये ये ही दुआ रखिये
वो भी किसी की माँ, बहन, बेटी है
सड़क पे चलिए, सर झुका रखिये
बुढ़ापे में बहुत काम आएगा यारों
खुद की खातिर भी कुछ बचा रखिये
किसी पे लगाने से पहले इल्जाम
अपनी नज़रों में इक आईना रखिये
उनके मुन्तजिर रहिये ना रहिये
वादे पे "राज" ऐतबार बना रखिये