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गुरुवार, सितंबर 20, 2012

कोई अशआर नहीं हूँ.....


इश्क में मर जाऊं, इतना बीमार नहीं हूँ 
चाहता हूँ तुझे पर तेरा तलबगार नहीं हूँ 

यूँ तो मुश्किल नहीं है, समझना मुझको 
पर हर कोई पढ़ ले मुझे अख़बार नहीं हूँ 

मैं चंद लफ़्ज़ों में सिमट जाऊं मगर कैसे 
इक लंबी दास्ताँ हूँ कोई अशआर नहीं हूँ 

मेरे सच से गर आप खफा हैं तो हो जाएँ    
चापलूसी के फन का मैं, फनकार नहीं हूँ 

अपने लफ़्ज़ों में हूँ आफताब समेटे हुए 
तुम्हारे जैसा जुगनू का किरदार नहीं हूँ 

रंज है मुल्क के सियासतदानों से मगर 
असीम हो जाऊं मैं, इतना गद्दार नहीं हूँ *

जानता हूँ के, ये लहजा नहीं पसंद तुम्हे
तुम्हे समझाऊं, इतना समझदार नहीं हूँ 

मेरी इबादतों का सिला नहीं देता है खुदा 
क्यूँ मैं अपनी आरज़ू का हकदार नहीं हूँ 

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* 'असीम'....एक कार्टूनिस्ट....
 जिसने भारत के संविधान एवं संसद की गरिमा
भंग करते हुए कुछ कार्टून बनाये, जिसके फलस्वरूप 
उसको कुछ दिनों की जेल की सजा हुयी...