सुबह से चल निकले हैं, शाम तक पहुँच ही जायेंगे
ये चाँद सितारे अपने मक़ाम तक पहुँच ही जायेंगे
आप बस लफ़्ज़ों के जुगाली यूँ ही करते रहिएगा
दो-चार अशआर तो अंजाम तक पहुँच ही जायेंगे
अभी तो बज़्म में पहली ही मुलाक़ात हुयी है उनसे
फिर से मिले तो दुआ-सलाम तक पहुँच ही जायेंगे
ये इश्क के किस्से हैं, बदनाम कर देंगे हम दोनों को
उसके नाम से चले हैं मेरे नाम तक पहुँच ही जायेंगे