सुबह से चल निकले हैं, शाम तक पहुँच ही जायेंगे
ये चाँद सितारे अपने मक़ाम तक पहुँच ही जायेंगे
आप बस लफ़्ज़ों के जुगाली यूँ ही करते रहिएगा
दो-चार अशआर तो अंजाम तक पहुँच ही जायेंगे
अभी तो बज़्म में पहली ही मुलाक़ात हुयी है उनसे
फिर से मिले तो दुआ-सलाम तक पहुँच ही जायेंगे
ये इश्क के किस्से हैं, बदनाम कर देंगे हम दोनों को
उसके नाम से चले हैं मेरे नाम तक पहुँच ही जायेंगे
बहूत हि बेहतरीन गजल है....सुंदर:-)
जवाब देंहटाएंउनके नाम से चले हैं मेरे नाम तक पहुँच जायेंगे !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल!
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जवाब देंहटाएंबेशक बहुत खूब सूरत अश आर ,उम्मीदे आशिक का भी क्या कहिये ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंवैकल्पिक रोगोपचार का ज़रिया बनेगी डार्क चोकलेट
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/06/blog-post_03.html और यहाँ भी -
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
http://veerubhai1947.blogspot.in/
लीवर डेमेज की वजह बन रही है पैरासीटामोल (acetaminophen)की ओवर डोज़
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इस साधारण से उपाय को अपनाइए मोटापा घटाइए ram ram bhai
रविवार, 3 जून 2012
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फिर से मिले तो दुआ सलाम तक ......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
ज़िन्दादिली से लिखी गयी ग़ज़ल
सुंदर !!
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंआप सभी गुणीजनों का बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंयूँ ही हौसला अफजाई करते रहें.... आभार