दूर सब दुनियादारी रख
बस लहजे में खुद्दारी रख
आसमान से डरना क्या
बस उड़ने की तैयारी रख
जिसकी आँखों से पी ले तू
फिर उससे ना गद्दारी रख
गमे हिज्र को मान के नेमत
फुरकत में जीना जारी रख
जफा मिले तो वफ़ा निभा
सोच ये अपनी भारी रख
सफे-दोस्तां साथ ना दे तो
अदू से ही दिलदारी रख
जो प्रीत की तुझसे रीत निभाए
उन पांवों में जन्नत सारी रख
हद-ए-दर्द जब बढ़ जाए "राज"
तैयार ग़ज़ल इक प्यारी रख
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सफे-दोस्तां----मित्र मंडली,
अदू----दुश्मन