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गुरुवार, जून 24, 2010

हमे भी देखकर मुस्कराया करो


हमे भी देखकर मुस्कराया करो 
मिलने हमारे घर भी आया करो 

सबकी नजरें सही नहीं लगती 
यहाँ वहां मत आया जाया करो 

सफ़र तय करते उम्र बीतती है 
दूर कहीं मंजिले ना बनाया करो 

लोग पागल ही समझेंगे तुम्हे 
मुझे सोच के ना शरमाया करो 

अब सबसे दुश्मनी क्या करना 
दिल नहीं हाथ तो मिलाया करो 

अँधेरे घर में अच्छे नहीं होते हैं 
शाम हो तो चराग जलाया करो 

काफ़िरो के हक दुआ नहीं होती 
उनके लिए भी हाथ उठाया करो