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शनिवार, फ़रवरी 13, 2010

भला क्यूँ शराफत कम हो गयी है




क्या मेरी मोहब्बत कम हो गयी है 
या फिर कुछ शिद्दत कम हो गयी है 

खुदा तो अब भी वही रह गया यहाँ 
क्यूँ मगर इबादत कम हो गयी है 

पहले तो रोज मिला करते थे हम 
कभी-2 की आदत कम हो गयी है 

रस्मे निभाने के बहाने हैं तुम्हारे 
सच में क्या फुर्सत कम हो गयी है 

लुत्फ़ था बेवजह झगड़ने में भी 
क्यूँ वो शिकायत कम हो गयी है 

पशेमानी उनकी अच्छी नहीं है 
लगे जैसे अदावत कम हो गयी है 

अब तो लबों पे बद्दुआ नहीं लाते 
भला क्यूँ शराफत कम हो गयी है