मेरा गम यूँ मेरे दिल के ही अंदर रहा
फिर भी मैं तो बड़ा मस्त कलंदर रहा
ये सोच के इश्क में हार जाया किये थे
के कब जीतकर भी खुश सिकंदर रहा
जाने क्या रंजिश बादलों की रही हमसे
के सारा शहर भीगा घर मेरा बंजर रहा
वो तेरा हाथ छुड़ाना और ख़ामोशी मेरी
ता--उम्र आँखों में बस यही मंजर रहा
जब भी नफे नुकसान का हिसाब देखा
मेरी पीठ पे, मेरे अपनों का खंजर रहा