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बुधवार, अक्तूबर 13, 2010

उसकी चूड़ियाँ खनकती बहुत हैं


मैं इस डर से उसका हाथ नहीं थामता 
हैं जो उसकी चूड़ियाँ खनकती बहुत हैं 

वो चाँद शरमा के गिर ना पड़े यूँ कहीं 
जुल्फों की घटायें कुछ बहकती बहुत हैं 

सुना भाभी की नाक है तेज ज्यादा और 
उसके जूड़े की कलियाँ महकती बहुत हैं 

तभी रात ढलने तक छत पे बुलाता नहीं 
कमबख्त मुयी पायलें छनकती बहुत हैं 

ये भी सच के हैं उसकी आँखें बेचैन बड़ी 
बस मुझे ही देखने को मचलती बहुत हैं

किस्मत का लिखा कुछ नहीं होता


किस्मत का लिखा कुछ नहीं होता 
कहने से खुदा खुदा कुछ नहीं होता 

अपनी अपनी फितरत है इंसान की 
करना वफ़ा या जफा कुछ नहीं होता 

घर की ग़ुरबत में भी सुकून रखिये 
जिंदगी में और बजा कुछ नहीं होता 

जिसकी सीरत यहाँ खुबसूरत बहुत 
उसके लिए आईना कुछ नहीं होता 

पैसा नहीं, कमाना है तो नाम कमा
रोज-ए-अज़ल बचा कुछ नहीं होता 

जो रखते हैं जिगर फौलाद का यहाँ पे 
उनको जमीं--आसमाँ कुछ नहीं होता  

मंदिर मस्जिद की छोड़ दे बातें अब 
किसी का उनसे भला कुछ नहीं होता 

वो कभी ना कभी तो मान जायेंगे ही 
बस उनसे दिल लगा, कुछ नहीं होता 

उब जाना जब उस महफ़िल से "राज़" 
तो कह देना अलविदा कुछ नहीं होता