मैं इस डर से उसका हाथ नहीं थामता
हैं जो उसकी चूड़ियाँ खनकती बहुत हैं
वो चाँद शरमा के गिर ना पड़े यूँ कहीं
जुल्फों की घटायें कुछ बहकती बहुत हैं
सुना भाभी की नाक है तेज ज्यादा और
उसके जूड़े की कलियाँ महकती बहुत हैं
तभी रात ढलने तक छत पे बुलाता नहीं
कमबख्त मुयी पायलें छनकती बहुत हैं
ये भी सच के हैं उसकी आँखें बेचैन बड़ी
बस मुझे ही देखने को मचलती बहुत हैं
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
जवाब देंहटाएंगज़ल ... ने तो मन मोह लिया सर जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.....संगीता जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया.....संजय भाई
Awsome i like it
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