खो गया है मेरी दीवारों दर का पता
नहीं मिलता मुझे मेरे घर का पता
यूँ चल तो रहा हूँ दुनिया की भीड़ में
ना मंजिल का पता ना सफ़र का पता
जो मिटा दे यहाँ शब् की तासीर को
ले के आये कोई ऐसी सहर का पता
ज़माने को क्या फ़िक्र तन्हाई की मेरी
ढूंढे कौन दश्तो में तन्हा शजर का पता
यूँ देखकर के आइना मुझे हैंरान क्यूँ है
क्या मुझमे है किसी वीराँ शहर का पता
अपने माजी का उसपे क्या इल्जाम दूँ
रखता हूँ गुमनाम दर्दे-जिगर का पता