लोकप्रिय पोस्ट

मंगलवार, मई 18, 2010

इतना रोये के हम फिर मुस्कराना भूल गए


इतना रोये के हम फिर मुस्कराना भूल गए 
तेरे बाद किसी को अपना, बनाना भूल गए 

तुमने यूँ कहा तो था के अब याद ना करना
यही बात बस हम दिल को बताना भूल गए 

शब् ढलती रही और ये सहर भी चलती रही
जाने क्यूँ मगर हम खुद को सुलाना भूल गए 

मेरा कातिल क़त्ल करके मेरे सामने ही रहा 
एक हम के उसपे इल्जाम, लगाना भूल गए