इतना रोये के हम फिर मुस्कराना भूल गए
तेरे बाद किसी को अपना, बनाना भूल गए
तुमने यूँ कहा तो था के अब याद ना करना
यही बात बस हम दिल को बताना भूल गए
शब् ढलती रही और ये सहर भी चलती रही
जाने क्यूँ मगर हम खुद को सुलाना भूल गए
मेरा कातिल क़त्ल करके मेरे सामने ही रहा
एक हम के उसपे इल्जाम, लगाना भूल गए