लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, अप्रैल 03, 2011

बात निकलेगी.......



मेरी इन आँखों के समंदर की बात निकलेगी 
तब किसी संगदिल पत्थर की बात निकलेगी 

जज्ब-ए-कुर्बानी का जिक्र होगा कहीं पर जब 
देखना यारों के मेरे ही सर की बात निकलेगी 

मौसम-ए-सेहरा में होगा सब आलम ये कैसा 
ना समर, ना किसी शज़र की बात निकलेगी 

मुद्दत से हैं वीरान पड़ी इस शहर की बस्तियाँ 
किन अल्फाजों में मेरे घर की बात निकलेगी 

जब भी छिड़ेगा चर्चा कहीं दोस्तों के नाम का
पीठ मेरी तो उनके खंजर की बात निकलेगी

मेरी वफायें जाविदाँ और तेरी ज़फायें कमाल 
कुछ यूँ अब दोनों के हुनर की बात निकलेगी

और ग़ज़लों में अब नया हम क्या कहें "राज़" 
दिल, धड़कन, रूह, जिगर की बात निकलेगी