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रविवार, अगस्त 16, 2009

उसे बेसबब मेरी याद आई होगी


उसे बेसबब मेरी याद आई होगी
शाम ने जब सुर्खी बिखराई होगी

एक मैं ही नहीं शब् भर जागा था
उन आँखों ने भी नींद भुलाई होगी

हाथ आया होगा पुराना ख़त जब
पढ़के हर्फों को वो मुस्कराई होगी

हवा के झोंके की इक आहट पे भी
नजरें राहों तक उसने उठाई होगी

जिक्र जब भी चाँद का हुआ होगा
हौले हौले से वो भी शरमाई होगी

थम गयी होंगी उसकी बेचैन साँसें
मेरे आने की खबर जब पाई होगी

पलकें नम दिल बेकरार हुआ होगा
मेरी ग़ज़ल उसने जब सुनाई होगी

इक आइना ही था उसका महरम
हर बात उसको ही तो बताई होगी