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रविवार, सितंबर 24, 2017



झूठ का अब बोलबाला हो गया है
और सच का मुँह काला हो गया है

चापलूस सर पे जाकर बैठ गए हैं
सच्चे का देश निकाला हो गया है

ये सियासी भूख क्या क्या खाएगी
इंसा तक इसका निवाला हो गया है

ये साज़िशों की कैसी रौशनी लाए हैं
देखिए ज़रा ग़ायब उजाला हो गया है

इक गधे के हाथ में बादशाहत देकर
लोग कहते हैं काम आला हो गया है

KK

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