और सच का मुँह काला हो गया है
चापलूस सर पे जाकर बैठ गए हैं
सच्चे का देश निकाला हो गया है
ये सियासी भूख क्या क्या खाएगी
इंसा तक इसका निवाला हो गया है
ये साज़िशों की कैसी रौशनी लाए हैं
देखिए ज़रा ग़ायब उजाला हो गया है
इक गधे के हाथ में बादशाहत देकर
लोग कहते हैं काम आला हो गया है
KK
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