लोकप्रिय पोस्ट

शुक्रवार, अप्रैल 13, 2012

लफ़्ज़ों में हमने दर्द को बोया हुआ है


बड़ी मुश्किलों से आज सोया हुआ है 
ये दर्द मेरा कितनी रातें रोया हुआ है 

उसकी चाहत बस चाहत ही रह गयी 
ख्वाब में पाया, सच में खोया हुआ है 

निखर के आ गया है चेहरा सहर का 
शब् ने आंसुओं से इसे धोया हुआ है 

देखो के महकती हुई ग़ज़ल आ गयी 
लफ़्ज़ों में हमने दर्द को बोया हुआ है