यूँ ही थे साथ जो गुजरे ज़माने याद आये
हमको फिर वो मौसम सुहाने याद आये
जख्मो की जब सौगात हुई नसीब अपने
तुम्हारे हाथों के मरहम पुराने याद आये
मेरा इंतजार और उसपे तुम्हारा ना आना
बारिश तो कभी शाम के बहाने याद आये
जफा-ओ-वफ़ा की मैं और मिसाल क्या दूँ
कुछ शम्में याद आयीं, परवाने याद आये
दवा से इलाजे-दर्दे-दिल हुआ न मुक्क़मल
साकी की आँखों से मिले पैमाने याद आये
तेरे बगैर जिन्दगी की तो तहरीर ना बनी
याद आये तो तन्हा से अफ़साने याद आये
"राज" क्या बिसात भला इश्क में है तेरी
सोचा तो मजनूँ से कई दीवाने याद आये