उड़ती घटाओं में तुझे माँगा है
महकी फिजाओं में तुझे माँगा है
जब ही इबादत में हाथ उठायें हैं
अपनी दुआओं में तुझे माँगा है
रात ख्वाबों में भी आई हों जब
दिल की सदाओं में तुझे माँगा है
आईने से जब जी भर गया अपना
फिर इन निगाहों में तुझे माँगा है
थके जब सफ़र में तन्हा चलते-२
शजर की छावों में तुझे माँगा है