उड़ती घटाओं में तुझे माँगा है
महकी फिजाओं में तुझे माँगा है
जब ही इबादत में हाथ उठायें हैं
अपनी दुआओं में तुझे माँगा है
रात ख्वाबों में भी आई हों जब
दिल की सदाओं में तुझे माँगा है
आईने से जब जी भर गया अपना
फिर इन निगाहों में तुझे माँगा है
थके जब सफ़र में तन्हा चलते-२
शजर की छावों में तुझे माँगा है
बहुत बढ़िया गजल!
जवाब देंहटाएं--
आपकी दुआओं को किसी की नजर न लगे♥3
बहुत खूबसूरत गज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गजल!
जवाब देंहटाएंरूप भाई साब...आभार...वक़्त देने के लिए
जवाब देंहटाएंसंगीता जी....हमेशा की तरह से आप की तवज्जो रही...शुक्रिया
संजय भाई.......शुक्रिया ....