किसी सहर की ताजगी तुम हो
गुलों की हसीन सादगी तुम हो
नहीं जाता मैं सजदे में कहीं पे
मेरा खुदा तुम हो बंदगी तुम हो
मेरे तरन्नुम पे रक्स करती हुई
अब ख्यालों की मौशिकी तुम हो
यूँ ही नहीं गुम तुम्हारे प्यार में
मेरी अहद-ए-आशिकी तुम हो
सांस भी लूँ तो तुम्हारा ख्याल आये
लगता है के जैसे जिन्दगी तुम हो