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शुक्रवार, नवंबर 05, 2010

दिल जो धड़के तो उनको भी खबर हो जाए


दिल जो धड़के तो उनको भी खबर हो जाए 
मेरी जानिब बस उनकी एक नज़र हो जाए 

अब तो तारीकी ही काबिज हैं गलियों में मेरी 
रुख से चिलमन जो ढले शायद सहर हो जाए  

मेरी पलकें गर उठे वो ही नज़र आये मुझे 
लब पे दुआओं का कुछ ऐसा असर हो जाए 

उसके दर्दो-अलम से वाकिफ कुछ ऐसा रहूँ 
वो आह भरे भी तो चाक मेरा जिगर हो जाए 

ऐ खुदा अबके ये बहारें बरसें कुछ ऐसी यहाँ  
सेहरा की शाख पे फिर गुल-ओ-समर हो जाए