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रविवार, जुलाई 29, 2012

इस गम को मात मिल जायेगी...




फिर इस गम को मात मिल जायेगी 
के जब कज़ा से हयात मिल जायेगी 

सब भूल कर के हम भी सोयेंगे बहुत
पुर-सुकून जब वो रात मिल जाएगी  

मैं जितने जवाब खोजूंगा इसके लिए 
जिंदगी ले नए सवालात मिल जायेगी

उसके बेटे भी कमाने लगे है आज-कल 
अब मुफलिसी से नजात मिल जायेगी

उसके लहजे पे जरा गौर करना तुम 
बातों-बातों में मेरी बात मिल जायेगी 

देखना, जिस रोज उसकी '' हाँ '' होगी
मुझको सारी कायनात मिल जायेगी 

सोमवार, जुलाई 23, 2012





कटी पतंग सी अब तो मेरी ज़ात है 
बनते-बनते मेरी हर बिगड़ी बात है 

जो ताउम्र किस्मत के भरोसे पे रहा 
बिसाते-वक़्त में तय उसकी मात है 

मैं उसके लिए बस इक खिलौना था 
वो क्या जाने के वो मेरी कायनात है

खुदा ने कब फर्क रखा था इंसां में 
ये तो हम इंसानों की करामात है 

गुजरेगी कैसे अब सोचते हैं "राज़" 
जिन्दगी तनहा सफ़र की रात है

शनिवार, जुलाई 21, 2012

कभी मीठी तो, कभी है खारी जिंदगी




कभी मीठी तो, कभी है खारी जिंदगी 
सच कहूँ मगर है बहुत प्यारी जिंदगी 

कभी सिसके तो कभी पागलों से हँसे 
तेरी याद में कुछ यूँ है गुजारी जिंदगी 

जीने की हद तक तो तुम जियो यारों 
क्या हुआ जो क़ज़ा से है हारी जिंदगी 

कभी ख्वाब देखते, कभी आरज़ू लिए 
कट रही है बस अब यूँ हमारी जिंदगी 

उसके बगैर भी अपनी तो कटेगी "राज़" 
बस उसे ही रहेगा मलाल सारी जिंदगी