कटी पतंग सी अब तो मेरी ज़ात है
बनते-बनते मेरी हर बिगड़ी बात है
जो ताउम्र किस्मत के भरोसे पे रहा
बिसाते-वक़्त में तय उसकी मात है
मैं उसके लिए बस इक खिलौना था
वो क्या जाने के वो मेरी कायनात है
खुदा ने कब फर्क रखा था इंसां में
ये तो हम इंसानों की करामात है
गुजरेगी कैसे अब सोचते हैं "राज़"
जिन्दगी तनहा सफ़र की रात है
वाह ... बेहतरीन भाव लिए अनुपम प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंLove ur introductory lines.."Tum thin to....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप दोनों का....
जवाब देंहटाएंमाही, वो शायद दिल की बात थी... इसलिए गहरी है.... :)
बहुत सुन्दर राज जी....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल..
अनु
mai to uske liye bas ek khilona raha, vo kya jaane vo mere liye kaynaat thi......waah bahut khoob pagle, achha likha hai
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
अनु जी... शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंप्रीत.....दिल की बात है.. दिल तक उतरेगी ही..