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शुक्रवार, अगस्त 22, 2014

गरीबों का खून चूस कर हुकूमत चलती है

चलकर हज़ार चालें ये सियासत चलती है 
गरीबों का खून चूस कर हुकूमत चलती है 

साथ ना कोई दौलत, ना शोहरत चलती है 
चलती है साथ तो बस मोहब्बत चलती है 

सुबह लड़ते हैं, शाम को साथ ही खेलते हैं 
बच्चों में जरा देर को ही अदावत चलती है 

वो तो किसी की आँख की हैवानियत ही है 
हया तो जबके ओढ़े हुए शराफत चलती है 

फ़रिश्ते मौत के कभी भी रिश्वत नहीं लेते 
रोजे-अज़ल न किसी की ज़मानत चलती है 

कुछ और नहीं करते, सच बयान करते हैं 
मेरे लफ़्ज़ों से ही मेरी ये बगावत चलती है 

मंगलवार, जुलाई 01, 2014

बन गयी फिर इक कहानी खूबसूरत


बन गयी फिर इक कहानी खूबसूरत 
आँखों ने बहाया जब पानी खूबसूरत

गर पत्थर भी मारिये तो वो हँस देगा 
बहते हुए दरिया की रवानी खूबसूरत

इक शेर में जिक्र जो माँ का कर दिया 
हुयी फिर ग़ज़ल की बयानी खूबसूरत

गठीले जिस्म की नुमाइश भला क्या 
मुल्क पे निसार जो जवानी खूबसूरत

वो जुदा होकर भी मुझसे जुदा नहीं है 
दे गया है यादों की निशानी खूबसूरत

पर्त-दर-पर्त खुल गए 'राज़' किसी के 
मिली है इक तस्वीर पुरानी खूबसूरत