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रविवार, फ़रवरी 28, 2016

एक हमीं हैं जो बगावत कर रहे हैं


बिना उस्तरे के हज़ामत कर रहे हैं 
वो शहादत पर सियासत कर रहे हैं 

सच बोल कर कोई जेल जा रहा है 
झूठ वाले देखो वकालत कर रहे हैं 

जिन्हे गरीबों ने साहब बना दिया  
वो अमीरों की हिफाज़त कर रहे हैं 

सब गधे वतनपरस्त हुए जा रहे हैं  
एक हमीं हैं जो बगावत कर रहे हैं 

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