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बुधवार, अक्तूबर 13, 2010

उसकी चूड़ियाँ खनकती बहुत हैं


मैं इस डर से उसका हाथ नहीं थामता 
हैं जो उसकी चूड़ियाँ खनकती बहुत हैं 

वो चाँद शरमा के गिर ना पड़े यूँ कहीं 
जुल्फों की घटायें कुछ बहकती बहुत हैं 

सुना भाभी की नाक है तेज ज्यादा और 
उसके जूड़े की कलियाँ महकती बहुत हैं 

तभी रात ढलने तक छत पे बुलाता नहीं 
कमबख्त मुयी पायलें छनकती बहुत हैं 

ये भी सच के हैं उसकी आँखें बेचैन बड़ी 
बस मुझे ही देखने को मचलती बहुत हैं

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