है दिल जैसे कोई मुसीबत क्या कहें
कैसे कटती है शबे फुरकत क्या कहें
देखकर शरमाये, ना देखे तो भटके
नहीं माह को कहीं है राहत क्या कहें
और तेरी याद तो दर्द भी है सुकून भी
बड़ी अजब सी है ये गफलत क्या कहें
अजनबी सा लगने लगा हूँ मैं खुद को
जब से हुई है तुमसे मुहब्बत क्या कहें
इस बज़्म में तन्हाई सी लगे है अब तो
इश्क की अजब सी ये वहशत क्या कहें
कोई नज़रों में सिवा तेरे नहीं उतरता
इनको भी हुई है तेरी आदत क्या कहें
इस बज़्म में तन्हाई सी लगे है अब तो
जवाब देंहटाएंइश्क की अजब सी ये वहशत क्या कहें
कोई नज़रों में सिवा तेरे नहीं उतरता
इनको भी हुई है तेरी आदत क्या कहें
वाह! क्या खूब भावों को सहेजा है……………बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति।
bahut sunder gazal.
जवाब देंहटाएंhar sher achchha hai.
मनोभावों की बेहतरीन प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप सभी का...
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