
दर्द जब हद से गुजर गया होगा
वो अपनी ही मौत मर गया होगा....
कल रात पुरवाई चली थी शायद
पुराना हर जख्म उभर गया होगा....
कितना टूटा था उम्र भर से वो शख्स
आईना था छूने से बिखर गया होगा....
बहुत बरसीं हैं बरसातें इस रुत में
मंजर का मंजर ही निखर गया होगा....
जो वक़्त पे किसी काम ना आया "राज"
वो इंसा हर एक नजर से उतर गया होगा....
एक सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंलिखते रहें
शुभकामनाएं
मेरे ब्लोग पर स्वागत है
बहुत ही अच्छी रचना...धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंदर्द जब हद से गुजर गया होगा
जवाब देंहटाएंवो अपनी ही मौत मर गया होगा....
बहुत बढ़िया .....पसंद आयीं
हिद्नी ब्लॉग जगत में स्वागत !
सुन्दर रचना .....बधाई..!
जवाब देंहटाएंsahi hai, narayan narayan
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंरजनीश जी,
अर्कजेश जी,
धनन्जय जी,
और नारद जी .......आप सबका आभार..जो आपने तुच्छ से रचनाकार को आपना कीमती समय दिया
bohat achhi hai
जवाब देंहटाएंBhaut bahut shukriya aap dono ka.....
जवाब देंहटाएंsorry pehli baar link galat de diya tha maine
जवाब देंहटाएंhttp://www.orkut.co.in/Main#CommMsgs?cmm=98341200&tid=5452161151164720536
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जवाब देंहटाएंChakresh bhai .... shukriya.....chor padkne ke liye/......chor le bhi jaayega..to meri gazal le jaayega...dard de jaayega....par kambakht meri soch to mere saath hai......aapka shukrgujaar hu jo aapne sachai ka saath diya/......yun hi saath dijiye bhai.....aabhar
जवाब देंहटाएंदर्द जब हद से गुजर गया होगा
जवाब देंहटाएंवो अपनी ही मौत मर गया होगा ..........
बहुत सुंदर रचना ..........
शुक्रिया अनु...
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