उनकी यादों को तो बेधड़क आना है
कमबख्त दिल अपना भी दीवाना है
उसे बदली की ओट से देख लेता है
ये मुआ चाँद भी बहुत ही सयाना है
आफताब को कोई नहीं पूछता अब
बस इन जुगनुओं का ही जमाना है
जंगलों की आग शहरों में आ गयी है
जीने के लिए जो औरों को दबाना है
ये मंदिर, मस्जिद, गिरजे, गुरद्वारे
सब में रिश्वत का चलन पुराना है
और जो वाईज बने फिरते हैं यहाँ
शाम उनके हाथों में भी पैमाना है
साहिल से क्या दुश्मनी कर लूँ मैं
रेत पे ही जो घर अपना बनाना है
इन सितारों को राजदार ना रखो
इन्हें शाम को आना सुबह जाना है
कौमी जूनून में दोनों जले बैठे हैं
उधर है ख़ामोशी, इधर वीराना है
शाम ढले तो घर चले जाना 'राज'
माँ का आँचल सुकूँ का ठिकाना है
शानदार पोस्ट
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंश्याम भाई.......
जवाब देंहटाएंजन दुनिया जी.....
संगीता जी......
आप सभी का दिल से आभारी हूँ जो आपने अपना कीमती वक़्त दिया....यूँ ही हौसला बढ़ाते रहिये...
दुआओं के साथ...... खुश रहिये.......KK