बद्दुआओं में दुआ जैसी है
मेरी आरजू खुदा जैसी है
धुंधली-२ शब् सी मिलती
कभी बादे---सबा जैसी है
मेरे दिल का साज भी है
नगमो की सदा जैसी है
गुलों का चटख रंग भी है
कलियों की हया जैसी है
बदली में चाँद सी लगे है
तारों की कहकशां जैसी है
हैं उसके नाम की कसमे
किसी अहदे-वफ़ा जैसी है
सोचता हूँ के बार बार करूँ
खुबसूरत सी खता जैसी है
बद्दुआओं में दुआ जैसी है
मेरी आरजू खुदा जैसी है
संगीता जी..........शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंकाफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंसंजय भाई ... शुक्रिया............ देर से आये .... पर आये तो सही....
जवाब देंहटाएंआपकी यही दिलकश अदा हमारा हौसला है... खुश रहिये....[:)]