
देता हूँ हर घड़ी अब मैं दुआ उसको
उसने ना करी पर मिले वफ़ा उसको
तारीक-ऐ-शब् हासिल हो मुझी को
नसीमे सहर पर बख्शे खुदा उसको
कदर करो गर कभी रहे रूबरू तुमसे
बिछड़ेगा तो रहोगे देते सदा उसको
अहदें किसी से तुम ना किया करना
जब तक के यूँ पाओ ना निभा उसको
किसी से इश्क हो तो चुप नहीं रहना
थाम के कलाई बस देना बता उसको
लबों पे कभी कोई मुस्कान खिला दे
उसे दुआ करना कहना भला उसको
मौसम जो तुमसे कुछ यूँ रूठा बैठा है
सब्ज रुतो में 'राज' लेना बुला उसको
bahut khoob...kamyab gazal hui hai..
जवाब देंहटाएंloved it ...........
जवाब देंहटाएंbhaiya ..shukriya..aap aate hain hausla milta hai..
जवाब देंहटाएंniv ji,,,,,, thnx a lot,,,,