
तुम रूठ जाती हो तो मुझे मनाना नहीं आता
झूठ का खूबसूरत आईना दिखाना नहीं आता...
सच कहता हूँ तो तुम्हारी आँखे नम देखता हूँ
क्या सूरत करूँ मैं, तुमको बहलाना नहीं आता...
इक पागल हूँ, शायद लोग सच ही कहते हैं
गुनाह करता हूँ और मुकर जाना नहीं आता...
तुम हंस दो यही तमन्ना लिए फिरता हूँ
सिवा तुम्हारे मुझे मुस्कराना नहीं आता...
मेरे अल्फाजो को थोडी अहमियत तो दे दो
किसी और ढंग से मुझे जतलाना नहीं आता...
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जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
shukriya janab.....
जवाब देंहटाएंyun hi jane kaisae
जवाब देंहटाएंyun hi tehalte huae
aapke panne se mulakaat ho gayi
ek achchi si baat ho gayi...
jo kuch padha.. achcha laga...
anita ji.....
जवाब देंहटाएंaap ko achchha laga.. likhna safal ho gaya.....bless u...
amazing
जवाब देंहटाएंbhot touching hai
aashu ji shukriya
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