
जागती आँखों में उसकी ख्वाब हुआ जाता है
इश्क में दिल हारने वाला कामयाब हुआ जाता है
अहमियत न दो तो ये एक कतरा भर ही है
समझो गर तो अश्क भी सैलाब हुआ जाता है
कैसी है आरजू ये, मेरी कैसी है ये तमन्ना
वो रूबरू भी रहे और दिल बेताब हुआ जाता है
गम हो गर उसे तो अपना सा लगता है वो भी
उसके चेहरे का तबस्सुम नायाब हुआ जाता है
कभी निकल जाती है वो जब बेनकाब बाम पे यूँ
हया में छुपती नाजनीन सा माहताब हुआ जाता है
achchha hai...
जवाब देंहटाएंshukriya ..neeraj ji..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंवीनस केसरी
jazbaat ka sailaab , bahut acche se bahta ja raha hai...!
जवाब देंहटाएंKesri ji..shukriya ...aapne wqat diya
जवाब देंहटाएंpriti ji..aabhar dil se..padhne ke liye