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वो मेरा होकर भी मुझसे जुदा रहा जब भी मिला बस खफा खफा रहा क्या मौसम आये क्या बादल बरसे कहाँ ख्याल सर्द आहों के सिवा रहा वक़्त ने यूँ म...
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जाने कैसा दीवाना हूँ मैं, जाने कैसी वहशत है तेरा इश्क है पागलपन है, या ये मेरी आदत है गुल में तेरा चेहरा देखूं, झील ये आँखें लगती हैं हर शै ...
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जो भी यहाँ सच की रह-गुजर चले उसके घर पे यारों फिर पत्थर चले मैं दुश्मनों से तो वाकिफ था मगर मेरी पीठ पर दोस्तों के खंजर चल...
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हर इक चेहरे में तेरा चेहरा लगे है हिज्र में मुझको सब सेहरा लगे है मेरी हर सदा नाकाम लौट आयी मुझे तो ये खुदा भी बहरा लगे है जाग उठा हू...
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शाम फिर से मुस्कराने लगी उसकी याद जब यूँ आने लगी चराग खुद-ब-खुद ही जल उठे रौशनी उसे ही गुनगुनाने लगी संदली हवा छूके उसके गेसू चली सा...
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जुनूँ जाने कैसा वो, उस रोज मेरे सर में था जिससे बिछड़ना था मैं उसी के शहर में था बेतरतीबी में जीस्त की आराम से गुजरी ...
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झूठ का अब बोलबाला हो गया है और सच का मुँह काला हो गया है चापलूस सर पे जाकर बैठ गए हैं सच्चे का देश निकाला हो गया है ये सिय...
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ख्यालों में आपका आना जाना रात भर फिर चश्मे--तर का मुस्कुराना रात भर हर इक आहट पे है आपकी आमद लगे मेरा दरवाजे तक नज़रें उठाना रात भर आप...
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बन गयी फिर इक कहानी खूबसूरत आँखों ने बहाया जब पानी खूबसूरत गर पत्थर भी मारिये तो वो हँस देगा बहते हुए दरिया की रवानी खूबसू...
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फलता-फूलता खूब साधू संतो का व्यापार भारत में क्यों कि फैला है अन्धविश्वास अपरम्पार भारत में कहीं मिलता कोई आसा तो कोई देता...
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aah! itnaa marm......... itne se shabdonm mein aapne kitnaa kuch keh diyaa....
जवाब देंहटाएंbahut khoob...........:)
bas Vartika ji.....jajbe hain jo kabhi shabdo me dhal jaate hain
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